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आपातकाल की बड़ी भारी हथकड़ी और संतोष शर्मा की कोमल कलाई
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आपातकाल के 50 वर्ष देश मे आपातकाल लगाए जाने वाले काले 25 जून पर प्रतिवर्ष कुछ न कुछ लिखना मेरा प्रिय शगल रहा है। किंतु, आज जो मैं आपातकाल लिख रहा हूं, वह संभवतः इमर्जेंसी के सर्वाधिक कारुणिक कथाओं मे से एक कथा होगी। जिस देश मे मतदान की आयु शर्त 18 वर्ष हो व चुनाव लड़ने की 21 वर्ष हो वहां 14 वर्ष के अबोध बालक को राजनैतिक अपराध में जेल में डाल देना कौतूहल के साथ साथ क्रोध व कड़वाहट उत्पन्न करता है। किंतु इस देश मे यह भी सत्य हुआ आपातकाल के दौर मे। वैसे जिन बंधुओं ने इमर्जेंसी की भयावहता बताने वाली, विनोद मेहता की पुस्तक “द संजय स्टोरी” पढ़ी होगी उन्हे आपातकाल की यह करुणापूर्ण कथा “द संतोष शर्मा स्टोरी” पढ़कर कोई आश्चर्य नहीं होगा। इंदिरा गांधी द्वारा लिखा और उनके पुत्र संजय गांधी द्वारा क्रियान्वित किया गया आपातकाल का अध्याय स्वतंत्र भारत का सर्वाधिक भयावह, भ्रष्ट व भद्दा भाग है। 25 जून 1975 की रात्रि अचानक ही इंदिरा गांधी व उनके कानून मंत्री सिद्धार्थशंकर रे ने देश मे आपातकाल लागू करने का मसौदा बनाया, आधी रात्रि को देश के महामहिम राष्ट्रपति फख़रुद्दीन अल