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जनवरी, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अमृतकाल में रामराज्य की संकल्पना हो रही है साकार

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- विष्णुदत्त शर्मा राम राज बैठे त्रैलोका। हर्षित भए गए सब सोका।। यह चौपाई अब वास्तविकता बनने जा रही है जब श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से चहुंओर हर्ष और आनंदमय वातावरण होगा। 5 अगस्त 2020 को राममंदिर की आधारशिला रखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘जय सियाराम’ के उद्घोष के साथ अपने संबोधन में कहा था कि “आप भगवान राम की अदभुत शक्ति देखिए... इमारतें नष्ट हो गईं, अस्तित्व मिटाने का भरसक प्रयास हुआ, लेकिन प्रभु श्रीराम आज भी हमारे मन में बसे हुए हैं। प्रभु श्रीराम हमारी संस्कृति के आधार हैं, भारत के जनमानस के विचार हैं और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं।“ प्रधानमंत्री जी ने अपने संकल्प स्वरूप यह भी कहा था कि ‘राम काज किन्हें बिनु, मोहि कहां विश्राम...’ 22 जनवरी 2024 को भव्य-दिव्य मंदिर में हमारे रामलला विधि विधान के साथ विराजने जा रहे हैं। सांस्कृतिक सभ्यता से परिपूर्ण हमारा भारत सरयू के किनारे एक स्वर्णिम अध्याय रचने जा रहा है। सोमनाथ से लेकर काशी विश्वनाथ तक अयोध्या धाम इतिहास गढ़ने जा रहा है। आज संपूर्ण भारत राममय होकर आनंदित है। हर मन प्रफुल्लित है और भारतवासी भावुक हैं क्योंक

सह्रदय व्यक्तित्व के धनी हैं राकेश शुक्ला, मेहगांव को मिला पहला कैबिनेट मंत्री

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  - सुबोध अग्निहोत्री        राकेश शुक्ला एक ऐसा नाम है, जो मेहगांव की जनता में पूरी तरह घुला मिला व रचा बसा हुआ है। वे सह्रदय व्यक्तित्व के इंसान हैं। जिसके हैं उसके हैं। वैसे वे विरोध किसी से पालते नहीं हैं लेकिन जो विरोध करता है उसे भी वे एक बार सुधरने व सही दिशा में चलने का मौका जरूर देते हैं। यही कारण है कि वे अपने विधानसभा क्षेत्र मेहगांव में अच्छी पकड़ बनाये हुए हैं। राजनीति उन्हें विरासत मिली। उनके पिता स्व. शिवकुमार शुक्ला जनसंघ फिर भाजपा के कद्दावर नेताओं में से थे। वे भिण्ड जिले के जिलाध्यक्ष भी रहे, निडरता से राजनीति करने वालों में उनका नाम था, पेशे से वकील और सक्रिय राजनीति में रहकर उनका प्रदेश स्तर तक नाम था। वे ऐसे नेता थे कि भिण्ड जिले की जातिवादी राजनीति से भी ऊपर थे। स्व. कुशाभाऊ ठाकरे उन्हें बेहद पसंद करते थे। उनके निधन के बाद वर्ष 1998 में स्व. श्री ठाकरे जी की पहल पर ही उनके पुत्र श्री राकेश शुक्ला को भाजपा का टिकिट मिला, पिता के निधन की सहानुभूति के चलते ठाकुर और ब्राम्हणों ने उनका साथ दिया और वे चुनाव जीत कर आये। इसके बाद 2008 में वे चुनाव जीते और फिर 2023 के चुन

स्वामी विवेकानंद जयंती पर विशेष-विवेकानंद के सपनों में सकारात्मक रंग भर रहे नरेंद्र मोदी

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  * डॉ राघवेंद्र शर्मा एक समय था जब भारत में विदेशियों का साम्राज्य स्थापित था। स्वयं को आजादी का पुरोधा कहने वाला देश का बहुत बड़ा राजनीतिक खेमा अंग्रेजी हुकूमत के आभामंडल से प्रभावित था। ऐसे में एक असाधारण व्यक्तित्व नरेंद्र, जिन्हें सम्मान के साथ स्वामी विवेकानंद कहा जाता है। वे भारत के गौरवशाली अतीत और उसके भावी पुनरुत्थान को लेकर देश के बाहर भीतर अलख जगा रहे थे। यह वही समय था जब उन्होंने शिकागो में अंतरराष्ट्रीय मंच पर हिंदी में उद्बोधन देते हुए भारतीय स्वाभिमान को जागृत कर दिखाया। यही वह मंच था जहां खड़े होकर स्वामी विवेकानंद ने भारतीय युवाओं का आवाहन किया था कि जागो उठो और आगे बढ़ो, जब तक कि लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए। यह उनके उद्बोधन का ही प्रभाव था, जब स्वयंभू स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की एक पीढ़ी येन-केन प्रकारेण सत्ता का सुख भोगने हेतु लालायित होकर अंग्रेजों की फूट डालो राज करो की नीति का अनुसरण करते हुए तुष्टिकरण की राह पर चल पड़ी थी, तब युवाओं में जोश पैदा हुआ और वह मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए सर कटाने आजादी के पथ पर निकल पड़े। इनमें से कई अंग्रेजों की गोलियों का श

नरों में उत्तम नरोत्तम मध्य प्रदेश की राजनीति की धुरी : राकेश शर्मा

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  हमेशा चर्चा में रहने वाले नरों में उत्तम नरोत्तम मध्य प्रदेश के उन नेताओं में शामिल हैं जो हमेशा राजनीतिक मैदान में हमेशा सक्रिय रहते हैं। मध्य प्रदेश में भाजपा और भाजपा सरकार के लिए हमेशा संकटमोचक के रूप में खड़े रहने वाले नरोत्तम हमेशा राजनीतिक मैदान में कार्यकर्ता और आमजन के बीच सक्रिय रहते हैं ।मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार में गृहमंत्री और सरकार के प्रवक्ता के रूप में एक नई मिसाल नरोत्तम मिश्रा ने मध्य प्रदेश में पेश की ।मीडिया के बंधु रोज सुबह 10:00 बजे नरोत्तम मिश्रा के आवास पर इकट्ठे हो जाते थे कोई भी विषय हो जिले से लेकर ,प्रदेश से लेकर ,राष्ट्रीय स्तर का हर विषय पर  बेबाकी और तथ्य पूर्ण जवाब मीडिया के बांधों को मिलता था ।हमेशा मुस्कुराने वाले ,आने वालो से गर्म जोशी से मिलने वाले नरोत्तम मिश्रा मीडिया के बंधुओंके दिलों पर राज कर करते थे ,करते हैं। 2023 के चुनाव में चन्द वोटों से  चुनाव हार गए ।भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता हों या आम जन या मीडिया के बंधु नरोत्तम मिश्रा की इस हार को पचा नहीं पा रहे हैं ।नरोत्तम मिश्रा विधानसभा का चुनाव हार गए पर आम जन कहते हैं देश में इंदिरा