अमृतकाल में रामराज्य की संकल्पना हो रही है साकार
- विष्णुदत्त शर्मा राम राज बैठे त्रैलोका। हर्षित भए गए सब सोका।। यह चौपाई अब वास्तविकता बनने जा रही है जब श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से चहुंओर हर्ष और आनंदमय वातावरण होगा। 5 अगस्त 2020 को राममंदिर की आधारशिला रखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने ‘जय सियाराम’ के उद्घोष के साथ अपने संबोधन में कहा था कि “आप भगवान राम की अदभुत शक्ति देखिए... इमारतें नष्ट हो गईं, अस्तित्व मिटाने का भरसक प्रयास हुआ, लेकिन प्रभु श्रीराम आज भी हमारे मन में बसे हुए हैं। प्रभु श्रीराम हमारी संस्कृति के आधार हैं, भारत के जनमानस के विचार हैं और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं।“ प्रधानमंत्री जी ने अपने संकल्प स्वरूप यह भी कहा था कि ‘राम काज किन्हें बिनु, मोहि कहां विश्राम...’ 22 जनवरी 2024 को भव्य-दिव्य मंदिर में हमारे रामलला विधि विधान के साथ विराजने जा रहे हैं। सांस्कृतिक सभ्यता से परिपूर्ण हमारा भारत सरयू के किनारे एक स्वर्णिम अध्याय रचने जा रहा है। सोमनाथ से लेकर काशी विश्वनाथ तक अयोध्या धाम इतिहास गढ़ने जा रहा है। आज संपूर्ण भारत राममय होकर आनंदित है। हर मन प्रफुल्लित है और भारतवासी भावुक हैं क्योंक