प्रभु से आपका संबंध कैसा भी हो वो आपका भला ही करेंगे...

 





भोपाल जयहिंद न्यूज़ नेटवर्क.

भगवान श्री कृष्ण ने गीता में अर्जुन से कहा अगर तू  जीत गया तो पृथ्वी पर राज करेगा 'वीर भोग्य वसुंधरा' वीर योद्धा जो होते हैं इस भूमि का भोग करते हैं स्वर्ग में जाकर आनंद ले भगवान की भक्ति करते है। 

अगर कथा पंडाल में माताएं बहन सोने की चेन पहनकर चलेंगे तो गोविंद ठाकुर जी को प्रिय नहीं लगेंगे लेकिन गले में आपने एक भी तुलसी का मन का धारण किया हुआ है तो ठाकुर जी भूल जाएंगे कि तुम पापी हो, ठाकुर जी भूल जाएंगे कि तुम्हारे कर्म कैसे हैं, ठाकुर जी हर चीज भूल जाएंगे, सिर्फ एक चीज याद रखेंगे किसने तुलसी धारण की हुई है। 

आप अनेक प्रकार के पकवान बनाकर ठाकुर जी के आगे रख दो, जलेबी रख दो, दूध रख दो, रबड़ी रख दो, रसगुल्ला रख दो, ठाकुर जी उनकी तरफ देखेंगे  भी नहीं। 

भगवान जब किसी जीव पर विशेष कृपा करते हैं तब भगवान उसे सत्संग प्रदान करते हैं। 

ब्रह्म जिज्ञासा उस ईश्वर को जानने की जिज्ञासा है जिसमें उसका मनकथा में लगेगा हमने पहले अपने आपको जानने की जिज्ञासा रखो या भगवान को जानने की जिज्ञासा रखो तो भगवान से प्रेम हो जाएगा। 

धार्मिक परंपरा, संस्कृति आदि का पालन करना हम सबका दायित्व है।

पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा की प्रारम्भ में यह की भागवत का महात्यम क्या है ? एक बार सनकादिक ऋषि और सूद जी महाराज विराजमान थे तो उन्होंने ये प्रश्न किया की कलियुग के लोगों का कल्याण कैसे होगा ? आप देखिये किसी भी पुराण में किसी और युग के लोगो की चिंता नहीं की पर कलयुग के लोगो के कल्याण की चिंता हर पुराण और वेद में की गई कारण क्या है क्योकि कलयुग का प्राणी अपने कल्याण के मार्ग को भूल कर केवल अपने मन की ही करता है जो उसके मन को भाये वह बस वही कार्य करता है। और फिर कलियुग के मानव की आयु कम है और शास्त्र ज्यादा है तो फिर एक कल्याण का मार्ग बताया भागवत कथा। श्रीमद भागवत कथा सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण हो जाता है महाराज श्री ने कहा कि व्यास जी ने जब इस भगवत प्राप्ति का ग्रंथ लिखा, तब भागवत नाम दिया गया। बाद में इसे श्रीमद् भागवत नाम दिया गया। इस श्रीमद् शब्द के पीछे एक बड़ा मर्म छुपा हुआ है श्री यानी जब धन का अहंकार हो जाए तो भागवत सुन लो, अहंकार दूर हो जाएगा। इस सांसारिक जीवन में जो कुछ भी प्राप्त किये हो सब किराए के मकान की तरह है। खाली करना ही पड़ेगा। 

व्यक्ति इस संसार से केवल अपना कर्म लेकर जाता है। इसलिए अच्छे कर्म करो। भाग्य, भक्ति, वैराग्य और मुक्ति पाने के लिए भगवत की कथा सुनो। केवल सुनो ही नहीं बल्कि भागवत की मानों भी। सच्चा हिन्दू वही है जो कृष्ण की सुने और उसको माने , गीता की सुनो और उसकी मानों भी , माँ - बाप, गुरु की सुनो तो उनकी मानो भी तो आपके कर्म श्रेष्ठ होंगे और जब कर्म श्रेष्ठ होंगे तो आप को संसार की कोई भी वस्तु कभी दुखी नहीं कर पायेगी। और जब आप को संसार की किसी बात का फर्क पड़ना बंद हो जायेगा तो निश्चित ही आप वैराग्य की और अग्रसर हो जायेगे और तब ईश्वर को पाना सरल हो जायेगा। 

श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर कपिल देवहूती संवाद, सती चरित्र, ध्रुव चरित्र का वृतांत सुनाया जाएगा।



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