सरकार कर्ज के दलदल में फंस गई… : कांग्रेस
भोपाल से रमेश ठाकुर जयहिंद न्यूज़ नेटवर्क |
उनका आरोप था कि हत्या की घटना का विरोध कर रहे आदिवासयों पर पुलिस ने निर्ममता के साथ गोलियां चलाई जिस में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई और कुछ लोग घायल हुए हैं। उनकी मांग थी कि इस पूरे मामले की उच्चस्तर पर शीघ्र ही जांच कराई जाए और मृतक के परिवार को आर्थिक सहायता तथा किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाये।
नेताप्रतिपक्ष गोविन्द सिंह और कांग्रेस की विधायक विजय लक्ष्मी साधो ने सदन में यह मामला प्रश्नकाल से पूर्व उठाया। उनका कहना था कि सामूहिक दुष्कृत के बाद युवती की हत्या की गई है। इस पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि इस मामले में दो तरह की बातें सामने आ रही हैं।
कहा जारहा है कि युवती की मृत्यु करंट लगने से हुई है और दूसरी ओर युवती के परिजन युवती के साथ दुष्कृत्य और हत्या का आरोप लगा रहे हैं। इस मामले में मुख्यमंत्री ने मजिस्ट्यिल जांच के आदेश दिये हैं। अधिकारियों से पूरे मामले में और जानकारी मांगी है।
प्रश्नकाल के बाद वह वस्तुस्थिति से सदन को अवगत करायेंगे। प्रश्नकाल समाप्त होते ही कांग्रेस के सदस्यों ने गृह मंत्री से महू की घटना पर वक्तव्य की मांग की। तब उन्होंने सदन को अवगत कराया कि महू के बड़गौंदा पुलिस थाना क्षेत्र के यदुनन्दन पाटीदार के साथ रह रही युवती की करंट लगने से मृत्यु हुई है। उस के साथ दुष्कृत्य हुआ है या नहीं यह चिकित्सकीय परीक्षण की रिपोर्ट आने पर पता चलेगा।
लेकिन युवती के परिजनों का कहना है कि दुष्कृत्य के बाद हत्या हुई है। विरोध में उन्होंने भारी भीड़ के साथ पुलिस थाने पर हमला किया। पुलिस ने लाठीचार्ज कर उन्हें रोकने के प्रयास किये। असफल होने पर पुलिस को गोली चलाना पड़ी जिस में एक युवक भेरूलाल की मृत्यु हो गई और एक घायल हुआ है। पुलिस के एक दर्जन से अधिक लोग भी घायल हुए हैं। मामले की मजिस्ट्यिल जांच के आदेश दिये गये हैं। सरकार ने मृतका के परिजनों और पुलिस की गोली से मारे गये युवक के परिवार को आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की है।
गृह मंत्री के जवाब से नाराज कांग्रेस के सदस्य गर्भगृह में जा पहुंचे। उनका कहना था कि सरकार मामले को दबाने का प्रयास कर रही है। इसी के साथ उन्होंने सदन से बहिर्गमन किया।
इस से पूर्व प्रश्नकाल में भी कांग्रेस के सदस्य लाखन सिंह यादव के प्रश्नों के संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया। लाखन सिंह यादव का कहना था कि उनके विधान सभा क्षेत्र की उचित मूल्य की दुकानों से राशन वितरण में गड़बड़ियां हो रही हैं और अधिकारी दुकानदारों को बचा रहे हैं। मामले की जांच कराई जाये।
खाद्य मंत्री ने जांच की मांग स्वीकार कर ली लेकिन समिति में विधायक को शामिल किये जाने से इंकार कर दिया। इस पर सदन में हंगाम हो गया। विपक्ष का आरोप था कि सरकार भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है। शोर-शराबा नहीं थमने पर सदन की कार्यवाही 10 मिनिट के लिए स्थगित कर दी गई। विधान सभा अध्यक्ष ने सदन को अवगत कराया कि इस मामले में विपक्ष की ओर से स्थगन प्रस्ताव की सूचना प्राप्त हुई है और वह अभी विचाराधीन है।
सदन की कार्यवाही पुनः प्रारम्भ होने पर कांग्रेस के ही कुणाल चौधरी के प्रश्न पर शोर-शराबा हुआ। चौधरी का कहना था कि जिन अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त और यूओडब्ल्यू में जांच लम्बित है उन्हें पदोन्नत कर भ्रष्टाचार का और अवसर दिया गया है। खद्य मंत्री और कुणाल चौधरी के बीच सवाल-जवाब के दौरान कई अवसरों पर सदन में ठहाके भी गूंजे। हंगामे और शोर-शराबे के कारण आज भी प्रश्नकाल में केवल दो विधायकों के प्रश्नों पर सवाल-जवाब हो सके।
सदन में दो ध्यानाकर्षण प्रस्तावों पर भी चर्चा हुई। कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल और भाजपा के दिनेशराय की इन ध्यानाकर्षण सूचनाओं पर संबंधित विभाग के मंत्रियों ने आश्वासन दिया कि उनके द्वारा उठाये मामले में कार्यवाही करेंगें।
स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इन्दर सिंह परमार द्वारा निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा के अधिकार से संबंधित अधिसूचना सदन के पटल पर रखे जाने के बाद आज वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने राज्य सरकार का तृतीय अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया। भोजन अवकाश निरस्त कर अनुपूरक बजट पर कराई गई चर्चा में विपक्ष के तरूण भनोत, पी सी शर्मा, कमलेश्वर पटेल, विनय सक्सेना, भाजपा के बहादुर सिंह चौहान, सीतासरन शर्मा, राजेन्द्र पांडे, आशीष गोविन्द शर्मा सहित अन्य कई सदस्यों ने अपनी बात रखी।
विपक्षी सदस्यों ने अनुपूरक बजट का यह कहते हुए विरोध किया कि अभी-अभी सदन में पूर्ण बजट प्रस्तुत हुआ है, ऐसे में अनुपूरक बजट का कोई औचित्य नहीं है। जबकि सत्ता पक्ष के सदस्यों ने इसे सरकार के तातकालिक खर्च एवं विकास के लिए जरूरी बताया।
चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के तरूण भनोत ने वित्त मंत्री पर आरोप लगाया कि पिछले बजट की अधिकांश राशि का उपयोग नहीं हो पाया और अब इस वर्ष के बजट में भी विभागों के लिए भारी राशी का प्रावधान किया गया है। उनका यह भी कहना था कि बजट की अधिकांश राशि स्थापना और कर्ज के ब्याज को चुकाने पर व्यय हो रही है। 2023 में कर्ज कुल 26 हजार करोड़ था, आज यह 4 लाख करोड़ को पार कर रहा है। सरकार कर्ज के दलदल में फंस गई है। उन्होंने कहा कि सरकार विकास के नाम पर कर्ज लेती जा रही है, जमीन पर विकास दिखाई नहीं दे रहा है।
सरकार के साथ ही स्थानीय निकायों और अन्य संस्थाओं ने भी बढ़ी मात्रा में कर्ज ले रखा है, उसके बयाज की भी भरपाई करना पड़ रहीं है। उन्होंने कहा सरकार की ओर से सदन में 16 हजार 3 सौ करोड़ का अनुपूरक बजट प्रस्तुत किया गया है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने में कुछ ही दिन शेष हैं, ऐसे में इतना पैसा कहां खर्च होगा इस का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है।
कांग्रेस के कमलेश्वर पटेल एवं अन्य सदस्यों का कहना था कि प्रदेश में भ्रष्टाचार बढ़ा है। कांग्रेस की ही हिना कांवरे का कहना था कि पिछले बजट में सरकार ने स्कूलों में साईकिलें देने का वादा किया था। जिन पंचायतों के सरपंच निर्विरोध चुने जायेंगे उन्हें 15 लाख रूपये तक देने की बात कही गई थी, लेकिन इन पर अमल नहीं हुआ। इस वर्ष के बजट में भी कई वादे किये गये हैं। बीच में ही यह अनुपूरक बजट भी प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि नियमों की अनदेखी कर रही है.
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