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भोपाल, प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके मिश्रा का पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर सीधा हमला


वाह यशस्वी मुख्यमंत्री कमलनाथ जी,आपने राजधानी भोपाल में विभिन्न किस्म के माफियाओं के पोषक के परिवार द्वारा पोषित "रोहित गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित" पर ही साहसिक हमला कर  अपने ईमानदार मंसूबों को स्पष्ट कर किया,धन्यवाद,आभार.....जांच एजेंसी EOW ने FIR दर्ज कर नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव का भी सम्मान बढ़ाया।
      शुक्रवार को प्रदेश की सक्रिय जांच एजेंसी EOW ने पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान के संरक्षण व उनकी राजनैतिक ताकत से उपकृत परिवार को समर्पित 100 एकड़ जमीन पर 1500 प्लाटों के आवंटन से लेकर रजिस्ट्रियों में फर्जीवाड़ा करने व सहकारिता विभाग की मिलीभगत से 125 करोड़ रु.की हेराफेरी करने वाली "रोहित गृह निर्माण सहकारी संस्था मर्यादित" के ख़िलाफ़ FIR दर्ज कर कमलनाथ सरकार की "माफियाओं से मुक्त प्रदेश" की काबील-ए-तारीफ़ मुहिम व  माननीय मुख्यमंत्री जी की इस विषयक दृढ़इच्छाशक्ति का जनमानस में विश्वास दिला दिया है,यह भी बता दिया है कि मुख्यमंत्री जी की धीमी चलकर बारीक पीसने वाली चक्की से कोई भी "दुष्ट" अब बचने वाला नहीं है।
       उल्लेखनीय है यह मामला 7 जुलाई,2017 को पार्टी के मुख्य प्रवक्ता के बतौर मैंने सम्पन्न अपनी पत्रकार-वार्ता  में उठाया था,जिसे लेकर मैं  तत्कालीन मुख्यमंत्री जी के कोपभाजन का शिकार हुआ था,यही नहीं उच्च न्यायालय,जबलपुर में इस बाबद PIL लगाने वाले 70 वर्षीय हमारे सहयोगी श्री जे.के.जैन को भी एक झूठे प्रकरण में फंसाकर सरकार ने उन्हें 105 दिन जेल में रहने को मज़बूर कर दिया था,खैर संकटों का दौर निकल गया,अब जीत सत्य की होना प्रारंभ हो चुकी है,अब तो "कमलनाथ सरकार व वल्लभ भवन की ईंट से ईंट बजाने की गीदड़ भभकियाँ देने वाले हर किस्म के माफियाओं के पोषक  शिवराज जी, यदि आप (ई) मानदार हैं तो मेरे पूर्व में लगाये गए आरोपों का जबाब दे दीजिए?
     क्या यह झूठ है कि (1)इस संस्था व इसके अध्यक्ष घनश्यामसिंह को आपके व आपके परिवार का संरक्षण नहीं है?
(2) क्या यह झूठ है कि इस संस्था के रिकार्ड के मुताबिक जुलाई,2003 तक सदस्यता क्र.1927 बनाये गए सदस्य ही वास्तविक रूप से भूखंडों के हकदार हैं,इसके बाद जितने भी सदस्य बनाये गए वे न केवल फर्जी हैं,बल्कि उनमें अधिकांश के पते भी फर्जी हैं?
 (3)क्या यह भी गलत है कि आपके व आपके परिवार के संरक्षण के कारण ही वर्ष 2004-05 के बाद इस संस्था का आज तक ऑडिट नही हुआ?
    (4)संस्था के अभिलेख प्राप्त करने हेतु मप्र सहकारी सोसायटी अधिनियम,1960 की धारा-57 के तहत जब्ती की कार्यवाही की गई थी,रेकार्ड जब्त नही होने के कारण उपायुक्त, सहकारिता ने 19 नव.2015 को नियमानुसार सर्च वारंट व संस्था के तत्कालीन प्रशासक ने संस्था के पूर्व अध्यक्षों के विरुद्ध भोपाल के थाना ऐशबाग में प्रकरण दर्ज करने हेतु 12 फर.व 11 अप्रेल,2015 को लिखा,किसके दबाब में सर्च वारंट की तामीली व FIR दर्ज नही हुई।
(5)15 मार्च,2016 को कांग्रेस के तत्कालीन वरिष्ठतम विधायक सर्वश्री डॉ. गोविंदसिंह,अजयसिंह व आरिफ अकील द्वारा विधानसभा में इस विषयक उठाये गए प्रश्न के जबाब में तत्कालीन सहकारिता मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने कहा था कि सरकार दागी सहकारी गृह निर्माण की जांच STF से कराएगी,इसके तत्काल बाद श्री भार्गव से सहकारिता विभाग क्यों छीना गया?
(6)क्या यह भी गलत है कि संस्था की इस भूमि पर प्लाट हड़पने वालों में आपके रिश्तेदारों, करीबियों व आपके कृपापात्र अधिकारियों  ( NEAR AND DEAR) के नाम शामिल नहीं हैं....? यदि नहीं तो ये कौन हैं व इनसे आपका क्या रिश्ता है......(1) रोहितसिंह पिता प्रेमसिंह चौहान,सदस्यता क्र.2198,भूखंड क्र.14  (2)श्रीमती रश्मि पति रोहितसिंह चौहान,सदस्यता क्र.2199,भूखंड क्र.15 (3) श्रीमती ममता पति धर्मेंद्र चौहान,सदस्यता क्र.190,भूखंड क्र.97 (4) धर्मेंद्रसिंह चौहान,स.क्र.1318, भूखंड क्र.20,(5)प्रद्युम्नसिंह पिता नरेन्द्रसिंह चौहान,स.क्र.1254,भूखंड क्र.333 (6) श्रीमती अनिता पति डी.चौहान,स.क्र.1255,भूखंड क्र.332 (7) श्रीमती ममता पति चंद्रभानसिंह चौहान,स.क्र.97, भूखंड क्र.97 (8) श्रीमती सीमा पति लावेंद्रसिंह चौहान,स.क्र.112,भूखंड क्र.157 (9) सुभाष वर्मा,स.क्र.155,भूखंड क्र.140 (10) बलवंतसिंह चौहान,स.क्र.1335,भूखंड क्र.19 (11)ब्रजेश चौहान पिता आर.एस. चौहान,स.क्र.1253,भूखंड क्र.331(12) हरीशसिंह भूखंड क्र.265
     संस्था के रिकार्ड में वर्ष 2005 से 2008 तक सदस्यता क्र.97,102,190,1253,1254,1318,1335,1543,2198,2199 किसके नाम थी?आपके परिजनों,करीबियों व चहेते अधिकारियों के नाम पूर्व सदस्यों की जगह कैसे हो गए? क्या किसी संस्था में एक ही परिवार के एक से अधिक सदस्यों को एक से अधिक भूखंड दिए जा सकते हैं? आपके परिजनों ने सदस्यों के पंजीकृत विक्रय पत्र में करीब 1 लाख की राशि भूखंडों की कीमत के एवज में दिखाई गई है जबकि गाइडलाइन के अनुसार पंजीयन के दौरान उन भूखंडों की कीमत करीब 8 लाख रु. प्रति भूखंड थी,यानी आपके परिजनों ने प्रति प्लाट 7 लाख रु.की मनी लॉन्ड्रिंग भी की है? पंजीकृत विक्रय पत्र में अंकित राशि क्या संस्था के उक्त नामों में जमा है?
     शिवराज जी, वर्ष 2011 में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में आपने सीना ठोंककर कहा था कि "यदि उनके रिश्तेदार भी कोई गलत काम करते हैं तो उन्हें भी बख्शा नही जाएगा" पर आपने अपने समूचे कार्यकाल में व्यापमं,भूमि,रेत,सहकारिता व अन्य प्रामाणिक महाघोटालों में लिप्त अपने परिवार व रिश्तेदारों को न केवल समुचित संरक्षण दिया,पुष्पित-पल्लवित किया बल्कि उन्हें बचाया भी,ऐसे दुश्चरित्रों को बेनक़ाब करने वालों को झूठे प्रकरणों में उलझाकर जेल तक भेजा....धीरे-धीरे उन पापों को ईश्वरीय माया का चक्र अब सामने ला रहा है,भोली सूरत बनाकर (ई) मानदारी का स्वांग अब उजागर होगा,समय बड़ा बलवान होता है,बद्दुआओं के ढेर पर ज्यादा दिन खड़ा नहीं रहा जा सकता है!करनी का फ़ल सभी को भुगतना होगा....प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जी ने अपने इस ऐतिहासिक व सराहनीय निर्णय से वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष श्री गोपाल भार्गव जी के भी उस अपमान को वास्तविक सम्मान में तब्दील किया है,एतद पुनः धन्यवाद,आभार*🙏🏽🙏🏽
     सिंहस्थ के भ्रष्टाचार पर भी बाबा महाकाल व हनुमान भक्त माननीय कमलनाथ का  अभी सोंटा घूमना बाकी है "मामाजी"


     


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